Harivansh Rai Bachan
Peom
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है।
unki kavitao ke bare me kya khu unki kavitae motivate krti h
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
harivansh rai bachan history ke bhut bde kavi h unki kavitay aaj bhi mujhe yaad h
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
– श्री हरिवंशराय बच्चन की कविता(Poems of Harivansh Rai Bachchan)
हरिवंशराय बच्चन जी की ये कविता मैंने नेट पर एक वेबसाइट से ली है। इस कविता के लिए कवि की जितनी तारीफ की जाये उतनी कम है। हर एक लाइन मोतियों की तरह जड़ी है। इसे पढ़ने के बाद मन को बहुत साहस मिलता है। मैं हरिवंश राय बच्चन जी को इस प्रेरक कविता के लिए बहुत धन्यवाद देना चाहता हूँ जिनकी कविता हर पढ़ने वाले को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। दोस्तों इस कविता को एक बार ध्यान ने जरूर पढ़ना मेरा वादा है कि आपको नयी ऊर्जा मिलेगी। कविता कैसी लगी, ये नीचे कॉमेंट में जरूर लिखें।
धन्यवाद!!!!
धन्यवाद!!!!
कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन जी द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्टमें स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।
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